अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति ( अत्याचार निवारण ) अधिनियम , 1989
The Scheduled Castes and the Scheduled Tribes ( Prevention of Atrocities ) Act, 1989
(राष्ट्रपति की स्वीकृति -11 सितम्वर1989 ) ( संसद में पारित 01 दिसम्वर1989 )
( लागू - 30 जनवरी 1090 )
अध्याय : 1 प्रारम्भिक
1 सक्षिप्त नाम , विस्तार एवं प्रारम्भ - इसका विस्तार जम्मू -कश्मीर राज्य के सिवाय संपूर्ण भारत पर
2 परिभाषाएँ- (क) अत्याचार - धारा 3 के अधीन (ख) सहिंतासे - दंड प्रक्रिया सहिंता अभिप्रेत (ग) एस ० सी \ एस टी जातियां -अनु० 366 के खंड 24 , 25 (घ) विशेष न्यायलय - धारा 14 में विशेष न्यायलय के रूप में विनिर्दिष्ट कोई सेशन न्यायलय .(ड) विशेष लोक अभियोजक -से विशेष लोक अभियोजक या धारा 15 में विनिर्दिष्ट अधिवक्ता (च) सहिंता या भारतीय दंड सहिंता में परिभाषित है वाही अर्थ होगा
अध्याय : 2 अत्याचार के अपराध
4 कर्तव्यों की उपेक्षा के लिए दंड - लोक सेवक जो एस टी \एस सी नहीं है 6 माह से कम नहीं 1 वर्ष तक ( जुर्माना नहीं है )
5 पश्चातवर्ती दोषसिद्धि के लिए वर्धित दंड - 1 वर्ष से कम नहीं या उसी अपराध के दंड तक हो सकेगी
6 भारतीय दंड सहिंता के कतिपय उपबंधों का लागू होना - धारा 34 , 149, अध्याय 3,4,5,5क ,23
7 कतिपय व्यक्तियों की संपत्ति का समपहरण - जिनका उपयोग अपराध में किया गया है , विचरण के समय कुर्क की जायेगीं , दोषसिद्धि होने पर जुर्माना काटकर बापस की जाएगी
8 अपराधों के बारे में उपधारणा- अपराध में अभियुक्त की वित्तीय सहायता करेगा न्यायलय उपधरना करेगा व्यक्ति दुष्प्रेरण का दोषी है .
9 शक्तियों का प्रदान किया जाना -
अध्याय : 3 निष्कासन
12 किसी व्यक्ति द्वारा संबंधित क्षेत्र से हटाने में असफल रहने और वहां से हटने के पश्चात् उसमें प्रवेश करने की दशा में प्रक्रिया -
13 ऐसे व्यक्तियों के , जिनके विरुद्ध धरा 10 के अधीन आदेश किया गया है , माप और फोटो आदि लेना -
(१) विशेष न्यायलय द्वारा ऐसी अपेक्षा की जाने पर , किसी पुलिस अधिकारी को आपने माप या फोटो लेने देगा (२) इंकार करने पर पुलिस अधिकारी कोई भी आवश्यक उपाय कर सकता है
(३) माप या फोटो का प्रतिरोध करने या इंकार करने को भा ० द० सा० की धारा १८६ के अधीन अपराध समझा जायेगा
(४)जहाँ आदेश प्रतिसह्रत कर दिया जाता है तो सभी बापस किया जायेगा .
13 धारा 10 के अधीन अननुपालन के लिए शास्ति - विशेष न्यायलय के आदेश का उल्लघंन करेगा कारावास , जिसकी अवधि 1 वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से भी
अध्याय : 4 विशेष न्यायलय
15 विशेष लोक अभियोजक- राज्य सरकार प्रतेक विशेष न्यायलय के लिए एक ,या ऐसे अधिवक्ता जिसने कम से कम ७ वर्ष विधि व्यवसाय किया हो,विशेषलोक अभियोजक के रूप में नियुक्त करेगी . अध्याय : 5 प्रकीर्ण
16 राज्य सरकार की सामूहिक जुर्माना अधिरोपित करने की शक्ति - सिविल अधिकार संरक्षण अधि० १९५५ की धारा १० क के उपवंध लागू होगे 17 विधि और व्यवस्था तंत्र द्वारा निवारक कारवाही - (१) यदि , जिला मजिस्ट्रेट या उपखंड मजिस्ट्रेट या किसी अन्य कार्यपालक मजिस्ट्रेट या किसी पुलिस अधिकारी को , जो पुलिस उप- अधीक्षक की पांति से नीचे का न हो .शांति और सदाचार बनाये रखने तथा लोक व्यवस्था और प्रशांति बनाए रखने के लिए आवश्यक और निवारक दोनों कार्यवाही कर सकेगा
(२) सहित के अध्याय ८,१०.११. लागू
(३) राज्य सरकार स्कीम बना सकेगी
18 अधि० के अधीन अपराध करने वाले व्यक्तियों को संहिता की धारा 438 का लागू न होना - किसी व्यक्ति की गिरफ़्तारी के किसी मामले के सम्बन्ध में लागू नहीं होगी
19 इस अधि० के अधीन अपराध के लिए दोषी व्यक्तियों को सहिंता की धारा 360 या अपराधी परिवीक्षा अधि० के उपबंध का लागू न होना - 18 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति के सम्बन्ध में लागू नहीं होगे
20 अधि० का अन्य विधियों पर अध्यारोही होना - ये अधि० प्रभावी होगा
21 अधि० का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने का सरकार का कर्त्तव्य -
22 सादभावपूर्वक की गई कारवाही के लिए सरंक्षण - कोई भी वाद ,या अभियोजन या अन्य विधिक कार्यवाही , केंद्रीय या राज्य सरकार या सरकार के किसी अधिकारी या प्राधिकारी या किसी व्यक्ति के विरुद्ध नहीं होगी
23 नियम बनाने की शक्ति - केंद्र सरकार